मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में रविवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2024 लाने के साथ-साथ कर्मचारी कल्याण, पत्रकार कल्याण, सौर ऊर्जा और प्रदेश के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए। उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री जोगाराम पटेल ने पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए मंत्रिमंडल में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी। उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने बताया कि सरकार 9-11 दिसम्बर तक होने जा रहे राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के लिए प्रदेश में अधिकाधिक निवेश आकर्षित करना चाहती है। इस दिशा में कैबिनेट की बैठक में राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना 2024 (रिप्स-2024) को मंजूरी प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि रिप्स-2024 निवेशकों के लिए रियायतों के लिहाज से देश की सबसे आकर्षक निवेश प्रोत्साहन योजना है।
चतुर्थ श्रेणी एवं वाहन चालक पदों की शैक्षणिक योग्यता अब 10वीं, भर्ती लिखित परीक्षा से
संसदीय कार्य मंत्री श्री जोगाराम पटेल ने बताया कि भर्तियों में पारदर्शिता और एकरूपता लाने के लिए चतुर्थ श्रेणी सेवा एवं समकक्ष पदों की शैक्षणिक योग्यता 5वीं एवं 8वीं कक्षा उत्तीर्ण से बढ़ाकर 10वीं करने एवं इनकी भर्ती साक्षात्कार से कराने के बजाय राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा लिखित परीक्षा के माध्यम से कराने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि इसी तरह, वाहन चालक के पद पर भर्ती की शैक्षणिक योग्यता 8वीं कक्षा उत्तीर्ण से बढ़ा कर 10वीं उत्तीर्ण करने तथा अलग-अलग सेवा नियमों में वाहन चालक के पदनामों में एकरूपता लाते हुए एक ही पदनाम वाहन चालक करने का फैसला किया गया है। साथ ही, वाहन चालक के पदों की भर्ती भी राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा लिखित परीक्षा के माध्यम से करवाई जाएगी।
युवाओं को नौकरी, हर वर्ग का उत्थान, राजस्थान विकास के पथ पर गतिमान
वाहन चालक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के संबंध में किया गया यह निर्णय इस साल 1 लाख सरकारी नौकरियां देने के राज्य सरकार के संकल्प को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। वर्तमान में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लगभग 60 हजार पद रिक्त हैं जिन पर भविष्य में भर्ती की जाएगी। सरकार द्वारा स्थानीय निकायों के माध्यम से 23 हजार 820 सफाई कर्मचारियों की भर्ती की विज्ञप्ति भी जारी की गई है। चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती के दौरान आवेदन पत्र अत्यधिक मात्रा में प्राप्त होते थे और स्नातक, स्नातकोत्तर, एल.एल.बी. उत्तीर्ण अभ्यर्थियों द्वारा भी आवेदन किया जाता था। साक्षात्कार के माध्यम से चयन किये जाने के कारण विभागों को इन भर्तियों में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। इन कारणों से कई वर्षों से इन पदों पर भर्ती नहीं हो पा रही थी।
संस्थापन अधिकारी को अब पे लेवल एल-16 का वेतनमान
श्री पटेल ने बताया कि मंत्रालयिक सेवा के कार्मिकों के हित में राजस्थान अधीनस्थ कार्यालय मंत्रालयिक सेवा के संस्थापन अधिकारी का वेतनमान राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के तहत पे लेवल एल-15 से बढ़ाकर एल-16 किए जाने का अनुमोदन भी मंत्रिमंडल में किया गया।
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि राजस्थान गवर्नर्स सेक्रेटरिएट (राज्य, अधीनस्थ, मिनिस्ट्रीयल एण्ड क्लास-4) सर्विस रूल्स, 2024 में डीपीसी वर्ष 2024-25 में पदोन्नति हेतु निर्धारित अनुभव में दो वर्ष की छूट की अधिसूचना के प्रावधान नहीं जोड़े जा सके थे, क्योंकि इन सेवा नियमों के अस्तित्व में आने तक अनुभव में छूट की अधिसूचना संबंधी समस्त संशोधन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। गत 5 जुलाई, 2024 को जारी अनुभव में छूट की इस अधिसूचना के प्रावधानों को इन सेवा नियमों में शामिल किए जाने की मंजूरी आज मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदान की गई।
उन्होंने बताया कि एक और निर्णय लेते हुए आयुष विभाग के वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी एवं समकक्ष पद तथा इससे उच्च पदों पर कार्यरत अधिकारियों द्वारा सेवा में रहते हुए पी.जी. डिग्री प्राप्त करने पर अग्रिम वेतन वृद्धि के लाभ का प्रावधान भी किया गया है।
राजस्थान ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम-1998 में संशोधन
श्री पटेल ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नियमों में स्पष्टता एवं अन्य विभागों से एकरूपता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राजस्थान ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम-1998 में संशोधन को मंजूरी प्रदान की गई। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में पूर्व में समाप्त पदों- सहायक प्रोग्राम अधिकारी, लेखा सहायक, समन्वयक प्रशिक्षण, समन्वयक आई.ई.सी., समन्वयक पर्यवेक्षण, कम्प्यूटर अनुदेशक इत्यादि पदों से संबंधित प्रविष्टियों को इस संशोधन के द्वारा विलोपित किया गया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में कनिष्ठ अभियंता के रिक्त पदों को अब लिखित परीक्षा के माध्यम से राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा ओपन कॉम्पिटिशन के आधार पर भरा जा सकेगा। इससे कनिष्ठ अभियंताओं की भर्ती की प्रक्रिया में सभी विभागों में एकरूपता रहेगी।
स्वतंत्र पत्रकारों के अधिस्वीकरण के लिए न्यूनतम आयु एवं न्यूनतम अनुभव की अवधि घटाई
उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने बताया कि बजट घोषणा 2024-25 को अमल में लाते हुए राजस्थान प्रेस प्रतिनिधि अधिस्वीकरण नियम-1995 में संशोधन कर स्वतंत्र पत्रकारों के अधिस्वीकरण के लिए न्यूनतम आयु 50 वर्ष से घटा कर 45 वर्ष की गई है और न्यूनतम पत्रकारिता अनुभव 25 वर्ष से घटा कर 15 वर्ष किया गया है।
रिप्स-2024 से एमएसएमई और उभरते हुए क्षेत्रों में बढ़ेगा निवेश
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि रिप्स-2024 में एमएसएमई सेक्टर से लेकर नए उभरते हुए क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिए जरूरी प्रावधान किए गए हैं। साथ ही, ग्रीन ग्रोथ, निर्यात संवर्धन और क्षमता विकास जैसी प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखा गया है। रिप्स-2024 में किए गए प्रावधानों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि रिप्स-2024 में स्टैंडर्ड सर्विसेज पैकेज के तहत इन्सेंटिव्स के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 50 करोड़ रुपये से घटाकर 25 करोड़ रुपये कर दी गई है। पर्यटन इकाइयों के लिए इसे और भी कम करके 10 करोड़ रुपये किया गया है। नए उभरते हुए क्षेत्रों की सूची का विस्तार करते हुए इसमें एयरो और स्पेस, रक्षा, ड्रोन, सेमीकंडक्टर्स, एग्री-टेक और वेस्ट रीसाइक्लिंग जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है। एक करोड़ रुपये से कम का पात्र अचल पूंजी निवेश करने वाले एमएसएमई उद्यमों को भी रिप्स-2024 के दायरे में लाया गया है।
परिचालन लागत कम करने के लिए भूमि और बिजली संबंधी इन्सेंटिव्स
उन्होंने बताया कि नई यूनिट्स लगाने और पहले से चल रही इकाइयों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ उन मौजूदा उद्यमों को भी रिप्स-2024 के लाभ प्रदान किए जाएंगे, जो हरित विकास में निवेश कर रहे हैं और पहली बार निर्यातक बन रहे हैं। रिप्स के अंतर्गत लगने वाली इकाइयों की परिचालन लागत को कम करने के लिए भूमि और बिजली से संबंधित इन्सेंटिव्स शुरू किए गए हैं। मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने वाले निवेशकों के लिए भूमि लागत के भुगतान का लचीला मॉडल रिप्स में शामिल किया गया है, जिसमें भूमि लागत का 25 प्रतिशत अग्रिम भुगतान करने के बाद शेष 75 प्रतिशत राशि 10 किश्तों में 8 प्रतिशत ब्याज के साथ दी जा सकेगी। ऊर्जा के अधिक उपयोग वाले 8 प्रकार के उद्योगों को विद्युत लागत इन्सेंटिव्स प्रदान किए जाएंगे। इसमें कैप्टिव रिन्युएबल एनर्जी संयंत्रों में निवेश पर सब्सिडी के साथ ही अतिरिक्त 5 प्रतिशत एसजीएसटी प्रतिपूर्ति या पीएनजी की वैट दर पर 5 प्रतिशत वैट प्रतिपूर्ति का विकल्प शामिल है।
एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा मिलने से बढ़ेंगे रोजगार- अधिक अवधि के लिए ब्याज छूट और निवेश सब्सिडी का लाभ
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर में युवाओं को अधिक रोजगार प्राप्त होने की संभावनाओं को देखते हुए इनके लिए स्टैण्डर्ड मैन्युफैक्चरिंग पैकेज की तुलना में अधिक अवधि (7 वर्ष) के लिए ब्याज छूट का लाभ दिया जाएगा। इसी तरह खादी, ग्रामीण पर्यटन और कृषि-प्रसंस्करण एमएसएमई के लिए अतिरिक्त लाभ दिया जाएगा। एमएसएमई के लिए स्टैण्डर्ड विनिर्माण पैकेज और स्टैण्डर्ड सेवा पैकेज की तुलना में अधिक अवधि (10 वर्ष) के लिए निवेश सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा।
3 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेशों पर 5 गुना इन्सेंटिव्स
उन्होंने बताया कि स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के लिए महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप्स को 2 साल के लिए शत प्रतिशत एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी। विशिष्ट निवेशों के लिए राजस्थान की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेशों पर 5 गुना इन्सेंटिव्स प्रदान किए जाएंगे। इससे अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हो सकेगा।
5 हजार 708 मेगावाट की ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटन का अनुमोदन
संसदीय कार्य मंत्री श्री पटेल ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार राजस्थान को एनर्जी सरप्लस स्टेट बनाने और 2027 तक किसानों को दिन में बिजली मुहैया कराने के लिए ठोस कदम उठा रही है। इसी दिशा में विद्युत उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से 5 हजार 708 मेगावाट की सौर ऊर्जा और विण्ड-सोलर हाइब्रिड परियोजनाओं के लिए 10 हजार 418 हैक्टेयर भूमि आवंटन की स्वीकृतियां कैबिनेट में प्रदान की गईं। क्रिस्टेलाइन टेक्नोलॉजी पर आधारित 2 हजार मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना जैसलमेर जिले की उपनिवेशन तहसील नाचना-1 के ग्राम बोडान में, क्रिस्टेलाइन टेक्नोलॉजी विद ट्रैकर पर आधारित 1500 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना जैसलमेर जिले की उपनिवेशन तहसील मोहनगढ़ नं-1 के ग्राम मोहनगढ़ एवं उपनिवेशन तहसील मोहनगढ़ नं-2 के ग्राम पोहड़ में लगाई जाएगी। इसी तरह, 1100 मेगावाट की एक सौर ऊर्जा परियोजना एवं 108 मेगावाट के विण्ड-सोलर हाइब्रिड प्रोजेक्ट के लिए जैसलमेर एवं फलौदी जिलों में भूमि आवंटित की स्वीकृति दी गई है। जैसलमेर जिले की तहसील रामगढ़ के ग्राम सियाम्बर में एक हजार मेगावाट की एक सौर ऊर्जा परियोजना लगाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि बिजली वितरण नेटवर्क के विकास के लिए दौसा जिले में लवाण तहसील के ग्राम पूरणवास और डुगरावता में 765/400 के.वी. उपकेन्द्र की स्थापना के लिए पावरग्रिड ब्यावर दौसा ट्रांसमिशन लिमिटेड को 38.17 हैक्टेयर भूमि के आवंटन का अनुमोदन किया गया है।
बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए तीन संयुक्त उद्यम कम्पनियों के प्रस्तावों का अनुमोदन
श्री पटेल ने बताया कि प्रदेश में भविष्य की बिजली की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से 10 मार्च 2024 को केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किए गए थे। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए तीन संयुक्त उद्यम कम्पनियां बनाने के प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया। लिग्नाइट आधारित परियोजना के लिए एनएलसी इंडिया लिमिटेड और अक्षय ऊर्जा परियोजना के लिए एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल लिमिटेड के साथ राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की जे.वी. कम्पनियां बनाई जाएंगी। इनमें एनएलसी इंडिया लिमिटेड और एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल लिमिटेड की शेयरधारिता 74 प्रतिशत एवं राज्य विद्युत उत्पादन निगम की शेयरधारिता 26 प्रतिशत रखी गई है। 3×125 मेगावाट के लिग्नाइट आधारित तापीय विद्युत स्टेशन की स्थापना एवं दूसरे संयुक्त उपक्रम के तहत 2000 मेगावाट संभावित क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना से राज्य में लगभग 12000 करोड़ रूपये का निवेश होगा।
उन्होंने बताया कि एनटीपीसी एवं आरवीयूएन की 50-50 प्रतिशत शेयरधारिता वाले तीसरे
संयुक्त उद्यम में छबड़ा थर्मल पावर प्लांट के परिसर में 660 और 800 मेगावाट क्षमता की एक या दो अतिरिक्त विद्युत तापीय इकाइयां स्थापित की जाएंगी। एनटीपीसी के तकनीकी कौशल एवं विशेषज्ञता के उपयोग से दक्षता बढ़ाने के लिए छबड़ा थर्मल पावर प्लांट की 2320 मेगावाट की मौजूदा इकाइयों का स्वामित्व हस्तान्तरण भी इस जेवी को कर इसी के माध्यम से इनका संचालन किया जाएगा। इस तरह छबड़ा थर्मल पावर प्लांट के परिचालन व कार्यक्षमता को बढ़ाने में हो सकेगा। इस जेवी के अंतर्गत दो परियोजनाओं की स्थापना होने पर लगभग 14400 करोड़ रूपये का निवेश होगा।